हिमालीय हिमनदों पर हो अनुसंधानः निशंक

नई दिल्ली/देहरादून, । सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति, सांसद हरिद्वार डाॅ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने आज लोक सभा में जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों पर पड़ रहे दुष्प्रभावों पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए मांग की कि हिमनदों पर व्यापक अनुसंधान एवं शोध होने चाहिए। केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से उन संस्थानों की सूची मांगी जो इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।डाॅ. निशंक ने संस्थावार कुल आबंटित राशि की जानकारी मांगते हुए पूछा कि इन आवंटित राशियों में से कितनी उपयोग में लायी गयी है। उन्होंने अध्ययन व शोध के संबंध में की गयी प्रगति के विषय में जानना चाहा। वैश्विक तापन के संबंध में सरकार की विभिन्न परियोजनाओं के विषय में जानकारी मांगते हुए डाॅ0 निशंक ने पूछा कि देश में किन-किन स्थानों पर इस दिशा में अध्ययन हो रहा है। अपने उत्तर में मंत्रालय ने बताया कि हिमालय क्षेत्र से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर शोध करने हेतु देश में 10 संस्थान है जिसमें उत्तराखंड स्थित हिमनद विज्ञान केन्द्र, वाडिया हिमालयी, भू-विज्ञान संस्थान, देहरादून एवं राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रूड़की, एच0एन0बी0 विश्वविद्यालय, श्रीनगर शामिल है। पर्यावरण एवं वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बताया कि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं अंतरिक्ष विभाग द्वारा वर्ष 2010 में हिमालयी क्षेत्र में हिम और हिमनदों की निगरानी के लिए 10.93 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं। वर्ष 2015-16 के दौरान हाल में ही अध्ययन प्रारंभ किए गए हैं।
बताया गया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय हिमालयीय सतत प्रणाली मिशन का समन्वय और कार्यान्वयन कर रहा है। पिछले दो वर्षो में जी0बी0पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान अल्मोड़ा को 26 करोड़ आवंटित किए गए हैं। राष्ट्रीय हिमालीय अध्ययन मिशन के अंतर्गत वर्ष 2015-16 के लिए 67.10 करोड़ रूप्ए की धनराशि आवंटित की गयी है। वाडिया हिमालयी भू-विज्ञान संस्थान के बजटीय ब्यौरा का विवरण देते हुए मंत्री ने कहा कि वर्ष 2015-16 तक दो करोड़ 38 लाख रूपये स्वीकृत हुआ। अपने उत्तर में मंत्रालय ने बताया कि विभिन्न संस्थानों के समन्वय से हिमनदों के संरक्षण संवर्धन के लिए सरकार कृतसंकल्प है।

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