सूबे में बारिश से आमजन हलकान

देहरादून;इं.वा. संवाददाता। प्रदेश भर सहित राजधानी में दो दिन से लगातार हो रही बरसात सेचारों ओर जल भराव ही जल भराव रहा और वहीं बल्लूपुर चैक पर तीन फीट का जलभराव होने से लोगों व वाहन चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पडा, वहीं दुपहिया वाहन भी इस जल भराव में फंसकर बंद हो गये तथा दूसरी ओर नगर निगम के सभी दावे पूरी तरह से फेल हो गये, वहीं कई स्थानों पर लोगों के पुश्ते टूट गये। अन्य क्षेत्रों में जलमग्न की स्थिति रही और लोगों व वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पडा। यहां लगातार हो रही बारिश से जहां चारो ओर पानी ही पानी भरा था वहीं बल्लूपुर चैक पर बन रहे फलाईओवर से कारण सडकें पूरी तरह से टूटी हुई है और वहां पर बडे बडे गढढे बन गये है जिसके कारण पूर्व में कई लोग चोटिल भी हो चुके है और इन गढढों में तीन तीन फीट पानी भरा हुआ है लेकिन नगर निगम के साथ ही पीडब्ल्यूडी विभाग व फलाईओवर निर्माण एजेंसी आंखे मूंद कर बैठी है। वहीं दूसरी ओर रिस्पना व बिन्दाल नदी उफान पर है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है। बारिश के कारण घंटाघर, दर्शनलाल चैक, लैंसडाउन चैक, विंडलास शापिंग काम्पलैक्स, सुभाष रोड, रिस्पना चैक सहित अन्य क्षेत्रों में जल भराव होने से यातायात प्रभावित रहा और वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पडा। दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया। भारी बारिश से बल्लूपुर चैक, सर्वे चैक, परेड ग्राउंड तिब्बती मार्केट, प्रिंस चैक, एस्ले हाॅल, नेशविला रोड, कांवली रोड, रेसकोर्स, डालनवाला, चन्द्र रोड, रायपुर रोड सहित अन्य स्थानों पर जल भराव होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पडा। सडकों, गलियों आदि स्थानों पर पानी की निकासी न होने पर जल भराव की स्थिति रही और जल भराव से निपटने के लिए नगर निगम के सभी दावे फेल रहे और यहां तक की सड़क पर कोई कर्मचारी जल भराव की समस्या से निपटने के लिए कोई भी कार्य करता नजर नहीं आया और वहीं आपदा के दावे करने वाला जिला प्रशासन भी हरकत में नहीं आया और आपदा प्रबंधन केवल बैठकों के साथ ही कागजी कार्यवाही करने तक ही सीमित रह गया है। वहीं राजधानी व आसपास के क्षेत्रों में कई स्थानों पर बिजली की आपूर्ति घंटों बाधित रही और जनता को नुकसान का सामना करना पडा और निगम के दावे फेल नहीं हे और यह सब अनियंत्रित विकास के कारण हो रहा है और इसके लिए नगर निगम ही नहीं बल्कि सभी विकास की एजेंसियों को जिम्मेदार माना जाना चाहिए। लोक निर्माण विभाग जगह-जगह गढढे खोद रहा है और सडक व गढढे का बरसात में पता भी नहीं चल पाता है और जिसका शिकार लोगों को ही होना पडता है। नालों पर लोगों ने अतिक्रमण कर दिया है और बरसात में जब नुकसान होता है तो वह निगम को ही दोषी मानते है लेकिन बसने से पहले वह यह नहीं सोचते है कि वह मकान कहां पर बना रहा है इसके लिए निगम को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। आपदा प्रबंध्न के बड़े-बडे़ दावे किये किये गये लेकिन वह भी बेकार साबित हुए, सडकों पर चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दिया और केवल परेशानियों का सामना लोगों को ही करना पड़ा। आपदा प्रबंधन तंत्र के साथ ही विभागीय अधिकारियों की सुस्ती भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

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