राष्ट्रपति भी हो सकते हैं गलत: हाईकोर्ट

नैनीताल। बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के रवैये से उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन को गलत ठहराए जाने की संभावना प्रबल हो गई है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा की पूर्ण शक्ति किसी को भी भ्रष्ठ कर सकती है और राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं। उन्होंने कहा की सभी न्यायालयों के आदेशों के न्यायिक रिव्यू का अधिकार भारत के न्यायालयों को है। बहस के दौरान जजों की सख्ती और तथ्यों से ऐसी संभावना बन रही है।
बुधवार को सुनवाई में अपनी दलील पेश करते हुए उच्च न्यायालय में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा की गोपनीय कागजों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट द्वारा राज्यपाल को लिखे ख़त में कहा गया था की 27 विधायकों ने फ्लोर टेस्ट की मांग की थी जबकि 9 बागी विधायकों का नाम उसमें नहीं था। तुषार मेहता ने कहा की 18 मार्च 2016 की रात 11:30 बजे अजय भट्ट ने 35 विधायकों के साथ राजभवन में राज्यपाल को पत्र देकर वित्त विधेयक गिरने का हवाला देकर हालातों से अवगत कराया था। उन्होंने यह भी कहा की विधेयक गिरने के बावजूद स्पीकर द्वारा विधेयक को पास बताकर संविधान का मजाक उड़ाया गया।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यूनियन ऑफ़ इंडिया के अधिवक्ता से पूछा की उनके द्वारा दिए गए गोपनीय दस्तावेजों पर न्यायालय में चर्चा हो सकती है क्या? उन्होंने ये भी पूछा की क्या उस दस्तावेज का जिक्र आदेश में किया जा सकता है?
इस पर याचिकाकर्ता हरीश रावत के अधिवक्ता ने कहा की कर्नाटक के एसआर बोम्मई केस में गोपनीय दस्तावेज का जिक्र किया गया है। जिसके बाद न्यायालय ने फिर पूछा कि कैबिनेट के उस निर्णय को पब्लिक क्यों नहीं किया जा सकता? न्यायालय के इस सवाल का यूनियन ऑफ़ इंडिया के असिस्टेंट सॉलिसिटर जर्नल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा की इस पर चर्चा की जा सकती है।
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने, बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने तथा वित्त विधेयक को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर बुधवार को भी बहस जारी है। महावीर जयंती के मौके पर छुट्टी होने के बाद भी बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है।

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