मैक्स ने की जटिल लिम्ब सेविंग सर्जरी, मासूम का पैर काटने से बचाया

हरिद्वार, इ.वा. सवांददाता। उत्तरी भारत के अग्रणी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून के विशेषज्ञों की एक टीम ने हाई-प्रेसीज़न सर्जरी द्वारा 11 साल के मरीज़ की टांग को बचा लिया, जिसे एम्प्यूटेशन यानि टांग काटने की सलाह दी गई थी। जटिल शल्यक्रिया को अंजाम देने वाले अस्पताल के विशेषज्ञों में शामिल थे डॉ. विवेक वर्मा- मस्कुलो स्केलेटल ओंकोलोजिस्ट (आर्थोपेडिक ओंकोलोजी); डॉ महेश सुल्तानिया- सर्जिकल ओंकोलोजिस्ट, मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल। जुलाई 2017 में 11 साल के इस बच्चे की बायीं जांघ की हड्डी में इविंग सारकोमा का निदान किया गया। इविंग सारकोमा एक तरह का हड्डी कैंसर है जो आस-पास की पेशियों में फैल जाता है और कई बार तंत्रिकाओं और वाहिकाओं को भी प्रभावित करता है। यह आमतौर पर 5 से 20 की उम्र में होता है और जल्दी निदान होने पर इसके उपचार की संभावना अच्छी होती है।2016 में गौरव ने टांग में दर्द की शिकायत की लेकिन उसके परिवार ने ध्यान नहीं दिया। कुछ ही दिनों के बाद उसे स्कूल में चोट लगी, तभी परिवार उसे लेकर एक स्थानीय अस्पताल पहुंचा। डॉक्टरों ने जांच के बाद सर्जरी की सलाह दी। जांघ की हड्डी टूटने के कारण एक्सटर्नल रॉड और फिक्सेटर लगाए गए। लेकिन दर्द और सूजन लगातार बढ़ती जा रही थी। परेशान और दुःखी माता-पिता उसे किसी अन्य अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टर ने हड्डी में असामान्य बदलाव की आशंका जताई जो कैंसर जैसा दिखाई दे रहा था। इसके बाद बायोप्सी की गई, जिसमें पता चला कि गौरव के कूल्हे के जॉइन्ट के पास की हड्डी में बोन कैंसर (इविंग सारकोमा) है। गौरव के माता-पिता यह सुनकर हैरान हो गए, क्योंकि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके बेटे को कैंसर हो सकता है। परिवार उत्तराखण्ड और दिल्ली में कई डॉक्टरों से मिला, सभी डॉक्टरों ने एम्प्यूटेशन यानि टांग काटने की सलाह दी, क्योंकि यह एक तरह का उग्र बोन कैंसर है। आखिरकार वे मैक्स अस्पताल पहुंचे जहां डॉ विवेक वर्मा और डॉ महेश सुल्तानिया की टीम से मिले। मामले की गहराई से जांच करने के बाद डॉक्टरों ने आपस में विचार विमर्श किया। अंततः फैसला लिया गया कि टांग को कटने से बचाने के लिए लिम्ब सैल्वेज किया जा सकता है। डॉक्टरों ने लिम्ब सैल्वेज सर्जरी का फैसला लिया क्योंकि ट्यूमर पर शुरूआती कीमोथेरेपी का अच्छा असर हुआ था। पिछले संक्रमण को हटाने के लिए डॉक्टरों को जांघ में से बड़ी मात्रा में पेशियों को निकालना था। डॉ विवेक वर्मा- मस्कुलो स्केलेटल ओंकोलोजिस्ट (आर्थोपेडिक ओंकोलोजी), मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून ने कहा, ‘‘यह मामला बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि ट्यूमर बहुत बड़ा था और जांघ की ऊपरी दो तिहाई हड्डी को नष्ट कर चुका था, इसके अलावा बाहर से रॉड और फिक्सेटर लगाए जाने के कारण संक्रमण होने से स्थिति और भी बिगड़ गई थी, उसकी कम उम्र होने के कारण हड्डी का आकार भी छोटा था और नियमित रूप से उपलब्ध ट्यूमर प्रोस्थेसिस बहुत बड़ी आकार की हड्डी के लिए होता है। इसके अलावा पैसों की कमी के चलते माता-पिता परेशान थे, क्योंकि परिवार आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर था। हमें उसकी हड्डी के आकार के अनुसार स्पेशल इम्प्लान्ट ऑर्डर करना था। उसकी उपरी जांघ का दो तिहाई हिस्सा और हिप जॉइन्ट- ट्यूमर प्रोस्थेसिस से बदला गया। आखिरकार 6 महीने बाद गौरव अपने पैरों पर खड़ा हो गया।’’ बोन और सॉफ्ट टिश्यु कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि कई बार लक्षणों को आम दर्द समझा जाता है और मरीज़ ऐसी स्थिति में फ्रैक्चर के साथ हमारे पास पहुंचता है जब बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसे में लिम्ब सैल्वेज भी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। डॉक्टरों के लिए भी ज़रूरी है कि इस तरह के मामलों को पहचान कर विशेषज्ञ संस्थानों में भेजें जहां इन मामलों के इलाज के लिए विशिष्ट सुविधाएं उपलब्ध हों। हाल ही में मैक्स अस्पताल देहरादून में एक और बोन ट्यूमर एबीसी (एन्युरिज़्मल बोन सिस्ट) का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। 26 साल की हिमानी की कलाई की हड्डी में एन्युरिज़्मल बोन सिस्ट का निदान किया गया, जो स्थानीय उग्र बनायन बोन ट्यूमर है। यह एक प्रकार का आम बोन ट्यूमर है, जिसका इलाज बिना ऑपरेशन के एक विशेष प्रक्रिया ‘क्युरोप्सी’ तथा स्क्लेरोसेन्ट इन्जेक्शन द्वारा किया जाता है। हिमानी का इलाज ‘क्युरोप्सी’ से किया गया जिसमें फ्लोरोस्कोपी की मदद से अल्ना हड्डी की दीवार की कैविटी में एक नीडल डाली जाती है। विशेष रसायन पॉलिडोकैनल (एक स्क्लेरोसेन्ट) को कैविटी में इन्सर्ट किया जाता है। हिमानी अब ठीक है। उसका दर्द ठीक हो गया है और पहले की तरह रोज़मर्रा के सभी काम कर सकती है। मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून की बोन एवं सॉफ्ट टिश्यु कैंसर युनिट उत्तराखण्ड के निवासियों को स्पेशलटी सेवाएं उपलब्ध करा रही है जिन्हें पहले इस तरह के इलाज के लिए महानगरों का रुख करना पड़ता था। डॉ संदीप सिंह तंवर, वाईस प्रेज़ीडेन्ट-ऑपरेशन्स ने कहा, ‘‘जटिल लिम्ब सेविंग सर्जरी अब नियमित रूप से मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून में की जा रही है। हम मरीज़ों की सामर्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए उन्हें इलाज मुहैया कराते हैं। हम पूरी कोशिश करते हैं कि मरीज़ के अंगों को बचाते हुए कैंसर को नष्ट किया जा सके। हम अपनी विश्वस्तरीय बुनियादी सुविधाओं के साथ उत्तराखण्ड एवं आस-पास के क्षेत्रों के लोगों को जटिल एवं सुरक्षित सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

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