जागेश्वर धाम की अपनी विशिष्ट पहचान

रोहित कार्की।
देहरादून/अल्मोड़ा, । उत्तर भारत में जागेश्वर धाम की अपनी विशिष्ट पहचान है श्रावण मास में यहाॅ पर श्रद्वालु आकर विशेष पूजा-अर्चना करते है और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण स्थान है। यह बात प्रदेश के महामहिम राज्यपाल डा० कृष्ण कान्त पाॅल ने आज प्रसिद्व जागेश्वर धाम में पूजा-अर्चना के बाद कही।
राज्यपाल ने कहा कि यहाॅ के आसपास के क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो सके शासन द्वारा अनेक महत्वाकांक्षी योजनायें संचालित की जा रही है और भविष्य में इस क्षेत्र को और अधिक विकसित किया जायेगा। महामहिम राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण की शुद्वता बनाये रखने के लिए मन्दिर परिसर के समीप साॅलिड वेस्ट मैनेंजमैंट काॅम्पैक्टर की स्थापना के साथ की बायो टायलेट बनाये गये है ताकि मन्दिर के आसपास पर्यावरण शुद्व बना रहे। उन्होंने जागेश्वर ज्योर्तिलिंग व मृंत्युजय मन्दिर, पुष्टि माता मन्दिर, गणेश मन्दिर, केदार मन्दिर, बटुक भैरव मन्दिर, हनुमान मन्दिर सहित अनेक मन्दिरों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के साथ ही दर्शन किये। उन्होंने कहा कि जागेश्वर धाम की सुन्दरता श्रद्वालु व पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और हमें इस तरह के प्रयास किये जाने चाहिए जिससे श्रद्वालु यहाॅ पर आकर पुण्य कमा सकें। उन्होंने मन्दिर कमेटी की व्यवस्थाओं पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन व्यवस्थाओं में और अधिक सुधार की आवश्यकता है ताकि बाहर से आने वाले लोगो को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए प्रशासन को भी पूर्ण सहयोग करना होगा। महामहिम राज्यपाल ने वहाॅ पर जनता से भी भेंट की और स्थानीय लोगो द्वारा अनुरोध किया गया कि मन्दिर के समीप पुरानी कलाकृति के भवन है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा स्वीकृति न मिलने के बाद नहीं बन पा रहे है यदि इस पर आप अपनी ओर से यहाॅ सुन्दता बनी रहे अपनी संस्तुति दे सके तो यहाॅ पर और अधिक बाहरी पर्यटक आकर रूक सकेंगे। महामहिम राज्यपाल ने वहाॅ पर स्थापित साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट का भी निरीक्षण किया और मन्दिर समिति द्वारा किये गये प्रयासो की सराहना की। मन्दिर परिसर में मन्दिर कमेटी द्वारा महामहिम राज्यपाल का स्वागत किया गया।

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