नोटों को बंद करना हमारी दूर की सोच : राजनाथ सिंह

लखनऊ । भारत सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार के 500 और 1000 के नोट को बंद करने का निर्णय हमारी दूर की सोच का नतीजा है। लोगों को यह बताना चाहता हूं यह कोई जल्दबाजी का निर्णय नहीं है। यह एक पूर्ण निर्णय है। शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में इण्डियन कामर्स एसोसिएशन व कामर्स पफैकल्टी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 69 वां आल इंडिया कामर्स कांÚेंस के उद्घाटन सत्र में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा घ्कि ब्लैकमनी पर हमारी सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पहले एसआईटी बनायी, जो अभी भी काम कर रही है। रियल सेक्टर में कानून बनाया है। श्री सिंह ने कहा कि गलत कमाई करने वाले लोगों के पास काला धन है और इसे गरीब व इमानदार लोगों को भुगतना पड़ता है। हमारी सरकार ने 500 व 1000 का नोट बंद कर दिया। इससे काला धन रखने वाले लोग परेशान है। यह जल्दबाजी का निर्णय नहीं है। इसमें दूर की सोच छीपी हुई है। कहा कि अक्सर लोग राजनीति में काले धन के उपयोग पर चर्चा करते थे, हमारा मानना है कि राजनीति केवल सरकार बनाने के लिये नहीं, बल्कि देश बनाने के लिये होनी चाहिये। सरकार के इस कदम से काली कमायी करने वाले दिवालिया होंगे और अमीर व गरीब के बीच की खाई कम होगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं फिजीक्स का स्टूडेन्ट हूं परन्तु जानता हूं कि भारत ही नहीं दुनिया भी क्रेडिट, डेबिट और व्यापार से अछूती नहीं है। भारत और बेहरीन में व्यापारिक सम्बन्ध है और इसका परिणाम देते हुये वहां के किन्ग ने मुझे बताया था। जितनी पुरानी सिन्धुघाटी सभ्यता है, उतनी पुरानी वहां की सभ्यता है। उन्होंने कहा कि भारत को चोट पहुंचाने का काम अंग्रेजो ने किया। वहीं से भारत पिछड़ गया। एशिया का एक और देश चीन भी पिछड़ा हुआ था, जब सन् 80 के बाद प्रगति आयी। फिर भी चीन की प्रगति की रफ्तार भारत जैसी ही रही। दुनिया की सबसे बड़ी इकोनामी चीन की ही है। वर्ष 2014 तक अपने देश का ग्रोथ रेट कम था और हमारी सरकार बनने के बाद विश्व पटल पर भारत की पफास्टेड ग्रोथ रेटिंग है। वहीं 7.9 जीटीपी ग्रोथ रेट पहुंच चुकी है। आने वाले वर्षा से यह सिन्गल नहीं रहेगी और डबल नम्बर में होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया के इन्वेस्टर भारत आ रहे है। 52 मिलियन डालर का निवेश हुआ है। बाहर देश यहां आकर्षित हो रहे है। हमारी सरकार बनने से पहले से इस पर हम काम कर रहे थे। अभी उतनी उछाल नहीं है, किन्तु कुछ परिवर्तन की शुरूआत हो गयी है। सरकार पारदर्शिता लाने में जुटी है।

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